भगवान शिव को सावन का महीना क्यों प्रिय है और क्यों की जाती है भगवान शिव की पूजा
बताया जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने का यह सबसे उत्तम महीना होता है सावन, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों शिव की अराधना इस महीने में की जाती है और क्यों शिव जी को ये महीना अति प्रिय है? आइए जानते हैं इसी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं-
भगवान शिव ने स्वयं ही सनतकुमारों को सावन की महिमा बताई है भगवान शिव ने कहा है मेरे बाएं नेत्र में चंद्रमा, दाएं में सूर्य और मध्य नेत्र में अग्नि का वास है।
इस मान्यता अनुसार ऐसा माना जाता है कि सावन महीने के शुरू होने पर भगवान विष्णु अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं औरविश्राम करने पाताललोक चले जाते हैं। विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता है इसलिए अपने अनुपस्थिति के दौरान वे अपनी सारी जिम्मेदारियां भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस माह में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर आते हैं और यहां आकर पृथ्वी वासियों के दुःख-दर्द को सुनते हैं व उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। इसलिए सावन का महीना खास होता है और इस महीने में सभी की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती है।
माता पार्वती ने इस महीने में किया था शिव के लिए कठोर तप
पुराणों और धर्मग्रंथों के अनुसार सावन के महीने में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की थी। अपनी अर्द्धांगिनी दोबारा मिलने के कारण भगवान शिव और माता पार्वती को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय हैं।
क्यों किया जाता है इस महीने में अभिषेक
धार्मिक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया। तब से उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस तरह उन्होंने पूरी सृष्टि को इस विष से बचाया था । हलाहल विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था इसी लिए भगवान शिव को निलकंठ भी कहते है इस विष के ताप को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं।
क्यों शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है।
श्रावण के महीने वर्षा के कारण चारो तरफ हरियाली रहती है और इसी वजह से कीड़े ज्यादा होते है जो हर जगह होते है पशु घास का सेवन कराती है और ये जहरीले कीड़े उनके अंदर चले जाते है और दूध को विषैला बना देते है जो लोगो के स्वास्थ के लिए बहुत हानिकारक होते है भगवान शिव ने हलाहल विष को पी के सृष्टि की रक्षा की थी इसी लिए लोग श्रावण में भगवान शिव को दूध अर्पित करते है ताकि विष का प्रभाव कम हो जाये।
एक और मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल (पृथ्वीलोक) में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं।
सावन मास का महत्व
सावन का महीना हिंदु कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता हैं और इस ऋतु में वर्षा का प्रारंभ होता हैं। शिव जी को सावन महीने का देवता कहा जाता हैं। उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं। पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं।
बताया जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने का यह सबसे उत्तम महीना होता है सावन, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों शिव की अराधना इस महीने में की जाती है और क्यों शिव जी को ये महीना अति प्रिय है? आइए जानते हैं इसी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं-
भगवान शिव ने स्वयं ही सनतकुमारों को सावन की महिमा बताई है भगवान शिव ने कहा है मेरे बाएं नेत्र में चंद्रमा, दाएं में सूर्य और मध्य नेत्र में अग्नि का वास है।
इस मान्यता अनुसार ऐसा माना जाता है कि सावन महीने के शुरू होने पर भगवान विष्णु अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं औरविश्राम करने पाताललोक चले जाते हैं। विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता है इसलिए अपने अनुपस्थिति के दौरान वे अपनी सारी जिम्मेदारियां भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस माह में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर आते हैं और यहां आकर पृथ्वी वासियों के दुःख-दर्द को सुनते हैं व उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। इसलिए सावन का महीना खास होता है और इस महीने में सभी की मनोकामनाएं जल्द पूरी होती है।
माता पार्वती ने इस महीने में किया था शिव के लिए कठोर तप
पुराणों और धर्मग्रंथों के अनुसार सावन के महीने में ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की थी। अपनी अर्द्धांगिनी दोबारा मिलने के कारण भगवान शिव और माता पार्वती को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय हैं।
क्यों किया जाता है इस महीने में अभिषेक
धार्मिक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया। तब से उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस तरह उन्होंने पूरी सृष्टि को इस विष से बचाया था । हलाहल विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था इसी लिए भगवान शिव को निलकंठ भी कहते है इस विष के ताप को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं।
क्यों शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है।
श्रावण के महीने वर्षा के कारण चारो तरफ हरियाली रहती है और इसी वजह से कीड़े ज्यादा होते है जो हर जगह होते है पशु घास का सेवन कराती है और ये जहरीले कीड़े उनके अंदर चले जाते है और दूध को विषैला बना देते है जो लोगो के स्वास्थ के लिए बहुत हानिकारक होते है भगवान शिव ने हलाहल विष को पी के सृष्टि की रक्षा की थी इसी लिए लोग श्रावण में भगवान शिव को दूध अर्पित करते है ताकि विष का प्रभाव कम हो जाये।
एक और मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल (पृथ्वीलोक) में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं।
सावन मास का महत्व
सावन का महीना हिंदु कैलेंडर में पांचवें स्थान पर आता हैं और इस ऋतु में वर्षा का प्रारंभ होता हैं। शिव जी को सावन महीने का देवता कहा जाता हैं। उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं। पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं।
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savan month
Why is Lord Shiva's favorite month of Sawan and why is worship of Lord Shiva Lord shiva
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