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दालचीनी शहद , दूध के सेवन के कुछ फायदे जिन्हे आजमा के हम बहुत सारी बीमारियों को दूर रख सकते है।

दालचीनी शहद , दूध के सेवन के कुछ फायदे जिन्हे आजमा के हम बहुत सारी बीमारियों को दूर रख सकते है।

दालचीनी शहद , दूध के सेवन के कुछ फायदे जिन्हे आजमा के हम बहुत सारी बीमारियों को दूर रख सकते है।


दालचीनी के फायदे के बारे में हर कोई जानता है पर इसका शहद के साथ उपयोग करना कितना फायदे मंद है मैं आज आपको बताऊंगा इस मिश्रण का सेवन करने से हार्ट प्रॉब्लम कोलेस्ट्रॉल, स्किन प्रॉब्लम सर्दी जुखाम पेट की प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाया जा सकता है तो चलिए जानते है
दालचीनी पाउडर और दूध के सेवन के कुछ लाभ
बदलते मौसम में लोग अक्सर वायरल फीवर और सर्दी जुखाम का सामना करते है इनसे छुटकारा पाने के लिए दूध में एक चम्मच शहद और दालचीनी पाउडर दाल कर पीना चाहिए इससे बहुत ही जल्दी फायदा मिलेगा
वजन काम करने के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर में दो बड़े चम्मच शहद मिलाके प्रातः और शाम को पीना चाहिए रोजाना ऐसा करने से शरीर से मोटापा कम होता है।
दालचीनी पाउडर और कालीमिर्च दूध मिलके पिने से गले से जुडी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
हार्ट प्रॉब्लम को दूर करने के लिए दालचीनी का साबुत उपयोग करना चाहिए इससे बहुत फायदा मिलता है।
जोड़ो के दर्द से छुटकारा पाने में दालचीनी बहुत ही फायदे मंद है रोजाना हल्के गर्म पानी में दालचीनी पाउडर डाल कर पीने से जोड़ो के दर्द में बहुत लाभ होता है।
दालचीनी और शहद को एक साथ खाने से कब्ज गैस और अपचन से निजात पाया जा सकता है इस मिश्रण को खाने से पेट दर्द और एसिडिटी को भी दूर किया जा सकता है तो ये थे दालचीनी शहद , दूध के सेवन के कुछ फायदे जिन्हे आजमाके हम बहुत सारी बीमारियों को दूर रख सकते है। 
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किडनी के रोगो के साथ अनेक बीमारियों का एक इलाज तेजपत्ता जाने कैसे ?

किडनी के रोगो के साथ अनेक बीमारियों का एक इलाज तेजपत्ता जाने कैसे ?

 किडनी के रोगो के साथ अनेक बीमारियों का एक इलाज तेजपत्ता जाने कैसे ?

आज मै आप को बताऊंगा की तेजपत्ते का पानी किडनी के लिए क्यों फायदे मंद है तेजपत्ता एक बहुत ही खुसबूदार भारतीय मसाला है जो खाने के स्वाद को दुगना करने का काम करता है तेजपत्ते में भरपूर मात्रा में कॉपर , potasium, कैल्शियम, magnesium, सेलेनियम, आयरन मौजूद होते है।  जो सेहद के लिए बहुत फायदे मंद होते है आज मै आप को बताने जा रहा हु की तेजपत्ते के सेवन से किन - किन समस्याओ से छुटकारा पाया जा सकता है नियमित रूप से तेजपत्ते का सेवन करने से पाचन से जुडी सभी समस्याएं दूर हो जाती है तेजपत्ता कफ, ऐठन, पेट में एसिड बनने की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदत करता है। 
शुगर के मरीज के लिए भी तेजपत्ता बहुत फायदे मंद होता है रोजाना तेजपत्ते के सेवन से टाइप २ के डायबिटीज के आलावा शुगर लेवल भी कण्ट्रोल में रहता है साथ ही इसके सेवन से दिल स्वस्थ होता है कुछ लोगो को ज्यादा नींद आने की समस्या होती है अगर आप भी नींद आने की समस्या से परेशान है तो तेजपत्ते को उबाल कर कुछ घंटे छोड़ दे फिर इस पानी को छान कर पि लीजिये इससे आप को ज्यादा नींद आनी बंद हो जाएगी किडनी के लिए भी तेजपत्ता किसी वरदान से कम नहीं है किडनी में प्रॉब्लम होने पर एक ग्लास पानी में तेजपत्ते को डालकर उबाल ले जब ये उबाल जाये तो इसके पानी को गरमा - गरम छान के इसका सेवन करे तेजपत्ते का पानी पिने से किडनी सी जुडी सभी समस्याएं दूर हो जाती है।  तो ये थे तेजपत्ते के फायदे जिन्हे हम आजमाकर बहुत सारी बीमारियों को दूर कर सकते है।
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भगवान शिव को करना चाहते है प्रसन्न तो परिक्रमा करते समय रख्खे इन बातो का ध्यान in Hindi

 भगवान शिव को करना चाहते है प्रसन्न तो परिक्रमा करते समय रख्खे इन बातो का ध्यान in Hindi

 भगवान शिव को करना चाहते है प्रसन्न तो परिक्रमा करते समय रख्खे इन बातो का ध्यान


शिवलिंग को भगवान शंकर का ही स्वरुप मानाजाता है ग्रंथो में इसके जिससे भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होकर इंसान की समस्त मनोकामनाये पूरी करते है तो अगर आप भी भगवान शंकर को प्रसन्न
करना चाहते है तो शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा के इन नियमो को ध्यान में रखकर
ही शिवलिंग की पूजा अर्चना करे। शिवलिंग की पूजा और परिक्रमा के नियम परिक्रमा के दौरान शिवलिंग के चारो ओर घूमने से भगवान शिव नाराज होते है। क्यों की शिवलिंग के नीचे का हिस्सा जहा से शिवलिंग पर चढ़ाया  गया जल बाहर जाता है वह देवी पार्वती का भाग माना जाता हैं।
इसीलिए शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा की जाती
है और फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा पूर्ण की जाती हैं। शिवपुराण के अनुसार कोई भी शिवलिंग की जल की निकासी यानी की निर्मली को लांघता है तो वह पाप का भागी हो जाता है और उसके भीतर की समस्त शक्ति छिर्ण हो जाती हैं इसलिए निर्मली तक ही परिक्रमा करनी चाहिए यानी की आधी परिक्रमा और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की कभी भी जलधारी के सामने से शिवलिंग की पूजा भी ना करे। शिवलिंग के चारो ओर घूम कर परिक्रमा करने से दोष लगता है और व्यक्ति पुष्प की बजाय पाप का भागी बन जाता हैं।इसलिए शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा की जाती है और फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा पूर्ण की जाती हैं। शिवलिंग पर भूल कर भी हल्दी और मेहंदी ना चढ़ाये क्यों की ये देवी पूजन की सामग्री हैं। शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा करते समय इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए की हमारा मुख दक्षिण
दिशा में नहीं होना चाहिए। पूजा करते समय शिवलिंग के ऊपरी हिस्से को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
इसलिए शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान आधी परिक्रमा की जाती है और फिर वापस लौट कर दूसरी परिक्रमा पूर्ण की जाती हैं।
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चलिए जानते है बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?

चलिए जानते है बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?
चलिए जानते है बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?


भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है ऐसा माना जाता है की अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है और बेलपत्र अर्पित करता है तो भगवान शिव उसकी हर इच्छा पूरी करते है।
तो चलिए जानते है भगवान शिव को बेल पत्र क्यों चढ़ाया जाता है , चलिए इसके पीछे की कहानी जानते है -- स्कन्द पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मन्द्राचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल गया इस तरह माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ माना जाता है की इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं।
माता पार्वती पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरुप में, इसके तनो में माहेश्वरी के स्वरुप में और शाखाओ में दक्षिणायनी के स्वरुप में और पत्तियो में पार्वती के रूप में रहती हैं। फलो में कात्यायनी स्वरुप व फूलो में गौरी स्वरुप निवास कराती है।  इन सभी रूपों के अलावा माँ लक्ष्मी का स्वरुप समस्त वृक्ष में निवास करता है।
बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण ऐसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से महादेव प्रसन्न होते है और भक्तो की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
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