दूर्वा ( दुब ) घास के फायदे
दूर्वा या दुब घास का वैज्ञानिक नाम साइनोडान डेक्टीलान है इसके फायदों को देखते हुए ही इसे आयुर्वेद में महाऔषधि कहा गया है। हमारे धार्मिक मान्यताओं और पूजा-पाठ में भी इसका उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है ऐसा कहा जाता है की समद्र मंथन से जो अमृत निकला था उसकी कुछ बुँदे जो पृथ्वी पर गिरी थी उसमे से कुछ बून्द इस घास पर भी गिरी थी और इसी लिए ये अमर है और और स्वस्थ के लिए फायदेमंद भी है आप ने देखा होगा की जैसे ही बरसात का मौसम आता है ये घास अपने आप ही जमीन से उग जाती है दूब घास को दूर्वा के नाम से भी जाना जाता है, और ये भगवान गणेश को अति प्रिय है। इसमें पाए जाने वाले तत्वों की बात करें तो इसमें फाइबर, प्रोटीन, फास्फोरस, पोटेशियम और कैल्शियम प्रचुरता से पाया जाता है. आइए अब बात इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते है।
1. दिल को स्वस्थ रखने में
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि दूब घास का नियमित सेवन हमारे रक्त में कोलेस्ट्राल का स्तर घटाने के साथ-साथ दिल के क्रियाकलापों में भी सुधार करती है. इस तरह से दूब हमारे दिल का ख्याल भी रखती है.
2. पाचन और उल्टी में सहायक
दूब घास एक डिटॉक्सिफायर के रूप में काम करती है जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने और अम्लता को कम करने में मदद मिलती है. इसके परिणामस्वरूप पाचन ठीक से हो पाता है. इसके अलावा जिसे उलटी हो रही है उसे दूब घास का रस देने से उसे आराम मिलता है.
3. शुगर में
दूब घास के फायदे आपको शुगर में भी लाभान्वित करते हैं. कई शोधों में इसके ग्लाईसेमिक क्षमता को सही पाया गया है. दूब घास का अर्क शुगर के मरीजों पर हाइपोग्लिसिमिक प्रभाव छोड़ता है.
4. तरोताजा रखने में
दूब घास को नींद न आने की बीमारी और थकान में एक प्राकृतिक उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसका नियमित सेवन तंत्रिका तंत्र को मबुत बनाता है आपके शरीर में सक्रियता बनाए रखता है.
5. एनीमिया में
किसी भी प्रकार के रक्त स्त्राव जैसे कि पीरियड्स के दौरान, चोट, या नाक से निकलने वाले अत्यधिक रक्त स्त्राव में ये बेहद प्रभावी है. ये लाल रक्तकोशिकाओं में वृद्धि करके हिमोग्लोबिन का स्तर भी बढ़ाता है जिससे कि एनीमिया जैसे बिमारियों में फायदा पहुँचता है.
6. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में
आपके स्वास्थ्य के हमेशा बेहतर रखने की जिम्मेदारी प्रतिरक्षा तंत्र पर होती है. दूब घास में प्रोटीन भी भरपूर होता है इसलिए इससे इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि को अनुकूलित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा ये एंटीवायरल और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि से भी युक्त होती है. जिससे कि ये रोगों से ज्यादा मजबूती से लड़ पाती है.
7. अल्सर में
दूब घास में पाए जाने वाले तमाम तत्वों में एक होता है फ्लेवोनोइड. ये एंटीअल्सर गतिविधि को अंजाम देता है. इसके अलावा ये कोल्ड और मसूड़ों से होने वाले रक्तस्त्राव को कम करने में मदद करती है. ये सांसों से बदबू भी कम करती है.
8. महिलाओं की समस्याओं में
पेशाब में इन्फेक्शन की संभावना पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है. महिलाओं के लिए बवासीर और सफेद पानी के स्त्राव की अवस्था में यदि उन्हें दही के साथ दूब घास दिया जाए तो काफी लाभकारी साबित होती है. स्तनपान में वृद्धि के लिए इसमें प्रोलैक्टिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता होती है.
9. सरदर्द में
सरदर्द में दूब घास का फायदा लेने के लिए इसे बेसन के साथ पीसकर इसका पेस्ट तैयार करें और इसका माथे पर लेप लगाएं. आप देखेंगे कि इससे राहत मिलती है.
10 -अधिक सेवन से होने वाले नुकसान --
वास्तव में दूब घास एक औषधी है जिसके कोई गंभीर या विशेष दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। लेकिन फिर भी सलाह दी जाती है कि इसकी पत्तियों और इससे निकाले गए रस का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में इसका उपभोग करने पर मुंह में झनझनाहट (paraesthesia oral), दांतों का दर्द, त्वचा में जलन और लाल चकते आदि की समस्या हो सकती है। इसलिए आप बहुत ही कम या औषधीय निर्धारित मात्रा में दूब घास का उपभोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।