कैलाश मंदिर के आश्चर्यजनक रहस्य।
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एलोरा का कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओ में स्थित है यह अपने रहस्य के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है इसका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है यह अजंता एलोरा की गुफा नंबर 16 में स्थित है इस मंदिर को पत्थरो को जोड़ - जोड़ के नहीं बनाया गया है बल्कि इसे एक ही पत्थर से ऊपर से निचे की तरफ काट के बनाया गया है। यह दुनिया का सबसे पुराना और इकलौता ऐसा मंदिर है जो इस तरह बनाया गया है ऐसा कहा जाता है की यह मंदिर वाइट प्लास्टर से ढका हुआ था इसी लिए इसका नाम कैलाश मंदिर पड़ा, कुछ वैज्ञानिक कहते है की इसे आज से 6000 साल पहले बनाया गया था तो कुछ वैज्ञानिक कहते है की इसे आज से 1200 साल पहले बनाया गया था इसकी वजह ये है की इसे पहाड़ को काट के बनाया गया है इसी लिए कोई भी इसका सही अनुमान नहीं लगा पाया है।
इस मंदिर में सुरंगे है जो कहा तक जाती है आज तक कोई भी इसका पता नहीं लगा पाया है कई लोग और वैज्ञानिक भी इस मंदिर के निर्माण को एलिअन्स से भी जोड़ते है क्यों की इस मंदिर को देखने के बाद इस मंदिर को फिर से बनाना असंभव लगता है इसी लिए इसके ऊपर हिस्ट्री चैनल ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है जो इस मंदिर को बनाने का काम एलियंस का है उसमे बताया गया है।
1 - कैलाश मंदिर आधुनिक टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा रहस्य है. कई प्राचीन हिन्दू मंदिरों की तरह इस मंदिर में कई आश्चर्यजनक बातें हैं जोकि हमें हैरान करती हैं. हमारे गौरवशाली और अति-विकसित इतिहास के बारे में जान के हैरानी और आश्चर्य दोनों होता है क्यों की आज के समय में भी ऐसा मंदिर या ईमारत बनाना लगभग नामुमकिन है।
2 - किसी मंदिर या भवन को बनाते समय पत्थरों के टुकड़ों को एक के ऊपर एक जमाते हुए बनाया जाता है. कैलाश मंदिर बनाने में एकदम अनोखा ही तरीका अपनाया गया. यह मंदिर एक पहाड़ के शीर्ष को ऊपर से नीचे काटते हुए बनाया गया है. जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर से मूर्ति तराशता है, वैसे ही एक पहाड़ को तराशते हुए यह मंदिर बनाया गया जो की एक अजूबा लगता है।
3 - पूरा मंदिर पत्थर काट कर खम्बे, द्वार, नक्काशी आदि बनाई गयी. जो की अपने आप में आश्चर्य से कम नहीं है, इसके अतिरिक्त बारिश के पानी को संचित करने का सिस्टम, पानी बाहर करने के लिए नालियां, मंदिर टावर और पुल, महीन डिजाईन बनी खूबसूरत छज्जे, बारीकी से बनी सीढ़ियाँ, गुप्त अंडरग्राउंड रास्ते आदि सबकुछ पत्थर को काटकर बनाना सामान्य बात नहीं है ऐसी कारीगरी आज के आधुनिक युग में भी मुमकिन नहीं है।
4 - आज के वैज्ञानिक और शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि मंदिर बनाने के दौरान करीब 4,00,000 टन पत्थर काट कर हटाया गया होगा. इस हिसाब से अगर 7,000 मजदूर 150 वर्ष तक काम करें तभी यह मंदिर पूरा बना होगा, लेकिन बताया जाता है कि यह मंदिर इससे काफी कम समय महज 17 वर्ष में ही बनकर तैयार हो गया था यही वजह है की यह एक रहस्यमई मंदिर है।
5 - उस काल में जब बड़ी - बड़ी क्रेन मशीने और कुशल औजार नहीं होते थे, तो इतना सारा पत्थर कैसे काटा गया होगा और मंदिर स्थल से हटाया कैसे गया होगा. यह आज भी एक रहस्य ही बना हुआ है. क्या किसी परग्रही या एलियन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके यह मंदिर बनाया गया था ? कोई नहीं जानता मगर इस मंदिर को देखकर तो ऐसा ही लगता है।
6 - माना जाता है कि कैलाश मंदिर राष्ट्रकुल राजा कृष्ण प्रथम ने (756AD-773AD) के दौरान बनवाया था. इसके अतिरिक्त इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य, बनाने की टेक्नोलॉजी, बनाने वाले का नाम जैसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंदिर की दीवारों पर उत्कीर्ण लेख बहुत पुराना हो चुका है एवं लिखी गयी भाषा को आज तक कोई भी पढ़ नहीं पाया है.
7 - आज के समय में ऐसा मंदिर बनाने के लिए सैकड़ों ड्राइंगस, 3D डिजाईन सॉफ्टवेयर, CAD सॉफ्टवेयर, छोटे मॉडल्स बनाकर उसकी रिसर्च, सैकड़ों इंजीनियर, कई हाई क्वालिटी कंप्यूटरर्स की आवश्यकता पड़ेगी, पर उस काल में यह सब कैसे सुनिश्चित किया गया होगा ? इसका जबाब आज तक न कोई वैज्ञानिक दे पाया है ना ही विज्ञानं, सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज इन सब आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके भी ऐसा दूसरा मन्दिर बनाना असम्भव है यही वजह है की आज भी यह मंदिर एक रहस्य ही बना हुआ है।