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चिरचिटा – अपामार्ग से रोगों का इलाज /Chirchita - Treatment of Diseases from Apparaga


चिरचिटा – अपामार्ग से रोगों का इलाज 



अपामार्ग का पौधा (Apamarga Tree) भारत के समस्त शुष्क स्थानों पर उत्पन्न होता है। इसकी ऊंचाई सामान्यतया 2 से 4 फुट होती है। लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग (Apamarg) आमतौर पर देखने को मिलते हैं।

सफेद अपामार्ग (Safed Apamarg) के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं। इसके अलावा फल चपटे होते हैं, जबकि लाल अपामार्ग का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं। फल चपटे और कुछ गोल होते हैं। इस पर बीज नोकीले कांटे के समान लगते हैं। दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है। फिर भी सफेद अपामार्ग श्रेष्ठ माना जाता है। 

विभिन्न भाषाओं अपामार्ग के में नाम

संस्कृत (Apamarg In Sanskrit)- अपामार्ग।
हिंदी (Apamarg In Hindi) – चिरचिटा।
मराठी (Apamarg In Marathi) – अघाड़ा।
गुजराती (Apamarg In Gujrati)- अधेड़ों।
बंगाली (Apamarg In Bengali)- अपांग।
अंग्रेजी (Apamarg In English)- प्रिकली चाफ फ्लावर (Prickly Chalfflower)।
लैटिन (Apamarg In Latin) -एचिरेन्थस ऐस्पेरा (Achyranthes Aspera) |

अपामार्ग के औषधीय गुण Apamarg Ke Gun
आयुर्वेदिक मतानुसार अपामार्ग तिक्त, कटु, तीक्ष्ण, गर्म प्रकृति, होता है। यह dard नाशक, विष, कृमि व पथरी नाशक,रक्तशोधक, ज्वर, श्वास रोग नाशक, सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।

वैज्ञानिक मतानुसार अपामार्ग के किए गए रासायनिक विश्लेषण से इसमें 30 प्रतिशत पोटाश क्षार, 13 प्रतिशत चूना, 7 प्रतिशत सोरा क्षार, 4 प्रतिशत लोहा, 2 प्रतिशत नमक एवं 2 प्रतिशत गंधक पाया गया है। पत्तों की अपेक्षा जड़ की राख में ये तत्व अधिकता से मिलते हैं।

चिरचिटा – अपामार्ग से रोगों का इलाज 

1 -  विषैले जीवों के काटने पर 

जानवरों के काटने व सांप, बिच्छू, जहरीले कीड़ों के काटे स्थान पर अपामार्ग के पत्तों का ताजा रस लगाने और पत्तों का रस 2 चम्मच की मात्रा में 2 बार पिलाने से विष का असर तुरन्त घट जाता है और जलन, दर्द में आराम मिलता है। पत्तों की पिसी हुई लुगदी को दंश के स्थान पर पट्टी से बांध देने से सूजन नहीं आती और वेदना दूर हो जाती है। सूजन चढ़ चुकी हो, तो शीघ्र ही उतर जाती है।

2 -  दांत रोग के इलाज में Daant Rog Ke Upchaar Me

अपामार्ग के फूलों की मंजरी को पीसकर नियमित रूप से दांतों पर मलकर मंजन करने से दांत मजबूत होते जाते हैं। पत्तों के रस को दुखते दांतों पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है। तने या जड़ की दातौन करने से भी दांत मजबूत होते एवं मुंह की दुर्गन्ध नष्ट होती है।

3 -  स्वप्नदोष को ठीक करने के लिए Swapndosh Ke Gharelu Upchar Me

आयुर्वेद में पुरुषों के रोगों के उपचार में भी इसका प्रयग किया जाता है | अपामार्ग की जड़ का चूर्ण और मिश्री बराबर की मात्रा में पीसकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में २ बार दो हफ्ते तक सेवन करें तो फायदा होगा |

4 -  मुंह के छाले में आराम Muh Ke Chhale Ke Upchar

मुह के छालों अपामार्ग से फायदा होता है | इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का रस छालों पर लगाएं तो इसमें आराम मिलता है | 

5 -  शीघ्रपतन के इलाज में 

अपामार्ग की जड़ को अच्छी तरह धोकर सुखा लें। इसका चूर्ण बनाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर एक चम्मच शहद मिला लें। इसे एक कप ठंडे दूध के साथ नियमित रूप से कुछ हफ्तों तक सेवन करने से लाभ मिलता है।

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